अगर इस पूजा के दौरान किसी ने तुलसी पौधे में जल अर्पित किया तो माता का व्रत खंडित हो जाता है और व्रतधारी महिला पुरुषों को इसका फल नहीं मिलता है
इस बार देवउठनी एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. 22 नवंबर को रात 11 बजकर 3 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी. जो 23 नवंबर को रात 9 बजे समाप्त होगा.
तुलसी विवाह के दिन गन्ने से विवाह का मंडप तैयार किया जाता है. इसके बाद बेर, चने की भाजी और आंवला से भगवान का पूजन किया जाता है.