23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. इस दिन तुलसी और सालिग्राम का विवाह किया जाता है

इस दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. 

अगर इस पूजा के दौरान किसी ने तुलसी पौधे में जल अर्पित किया तो माता का व्रत खंडित हो जाता है और व्रतधारी महिला पुरुषों को इसका फल नहीं मिलता है 

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इस बार देवउठनी एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. 22 नवंबर को रात 11 बजकर 3 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी. जो 23 नवंबर को रात 9 बजे समाप्त होगा.

देव उठनी एकादशी तुलसी विवाह के दिन भगवान शयनमुद्रा से जागते हैं और शुभ कामों की शुरुआत होती है.

तुलसी विवाह के दिन गन्ने से विवाह का मंडप तैयार किया जाता है. इसके बाद बेर, चने की भाजी और आंवला से भगवान का पूजन किया जाता है. 

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