वह भी कई पूर्व और वर्तमान भारतीय एथलीटों की तरह ही सीमित संसाधनों के साथ पली-बढ़ी हैं। उनके पिता सूर्यनारायण एक प्राइवेट सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हैं।
कम उम्र में ही ज्योति याराजी 100 मीटर हर्डल रेस का हिस्सा बनी हैं। वह वर्तमान में भारत की सबसे तेज महिला हर्डलर हैं।
वह विराज के पोर्ट हाई स्कूल कृष्णा में पढ़ती थीं, जब उनके फिजिकल एजुकेशन टीचर ने ज्योति के टैलेंट को पहचाना और महसूस किया कि वह एक हर्डलर बन सकती हैं।
उनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई, माता पिता ने भी ज्योति का साथ दिया। हालांकि ज्योति ने पढ़ाई भी जारी रखी और आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय से बीए इतिहास की पढ़ाई की।
साल 2015 में ज्योति याराजी आंध्र प्रदेश इंटर-डिस्ट्रिक्ट मीट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पहली बार सुर्खियों में आई थीं।
2022 में उन्होंने भुवनेश्वर में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी मीट में 13.7 सेकेंड समय में रेस को पूरा किया।
मई में ज्योति ने लिमासोल में साइप्रस इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।