Konark Surya Mandir : सूर्ये देव के कोणार्क मंदिर की विशेषताए जान कर चकित रहे जायेगे |( top10 famous temple in india )

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Konark Surya Mandir : क्या आपने कभी 10 रुपये के नोट के पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर का चित्र जरूर देखा होगा | क्या आपको उस पर भारत के मुख्य सूर्य मंदिरों की छवि देखने को मिली | इस मंदिर को विशेष कारीगरों द्वारा बनाया गया था| जिससे सूरज की पहली किरणें पूजा करने की जगह और भगवान की मूर्ति पर ही पड़ती थी | आज आपको खबरी भैया इस मंदिर की रहस्मयी विशेस्ताओ के बारे में बतायेगे | जानकारी के लिए खबर के साथ अपडेट रहिये |

खबरी भैया :- तो चलिए आपको बताते है ओडिशा के विश्व प्रसिद मंदिर की विशेस्ताओ के बारे में और साथ ही इसे किसने और कब और क्यों बनाया था | इस पूरी जानकारी के लिए खबर के साथ अपडेट रहिये |

Konark Surya Mandir :
Konark Surya Mandir :

Konark Surya Mandir : सूर्ये देव के विश्व प्रसीद कोणार्क मंदिर के बारे में

Konark Surya Mandir : सूर्ये देव का विश्व प्रसीद ये कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के उडीसा राज्य के कोणार्क में स्थित है। यहविशाल मंदिर हमेशा से सूर्य देव को समर्पित है और यह मंदिर देश के प्रसिद्ध तीर्थस्थलो में से एक स्थान पर आता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है की मंदिर का निर्माण सूर्य देव के रथ के आकार के रूप में किया है। यह मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला का प्रमुक उदाहरण रहा है यह सूर्ये देव मंदिर भारत के सात अजूबों में से एक रहा है। कोणार्क शब्द, ‘कोण’ और ‘अर्क’ शब्दों से मिलकर बनता है । अर्क शब्द का अर्थ होता है सूर्य, जबकि कोण का मतलब होता है कोने या किनारे। कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंगवंश के राजा नरसिंह देव ने करवाया था। इस मंदिर को भगवान सूर्य देव के रथ के आकार में बनाया गया था | और इस रथ के कुल 24 पहिये है, साथ ही सात घोडे भी है। इस मंदिर की कलाकृति लाल बलुआ और ग्रेनाइट पत्थर से की गयी है |

Konark Surya Mandir : आखिर क्या विशेषता है सूर्ये देव कोणार्क मंदिर के इतिहास के बारे में |

Konark Surya Mandir : कोणार्क सूर्ये मंदिर के इतिहास की बात की जाये तो पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने एक बार नारद मुनि के साथ बुरा बर्ताव किया था। जिसकी चलते नारद जी ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे डाला था । श्राप के कारण साम्ब को कुष्ठ रोग (कोढ़ रोग) हो गया। साम्ब ने चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर कोणार्क में, बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की। जिसके चलते सूर्य देव उन्ह पर प्रसन्न हो गए। सूर्यदेव, जो सभी रोगों के नाशक थे, ने इसके रोग का भी निवारण किया था | तभी साम्ब ने सूर्य भगवान का एक मंदिर बनवाने का निश्चय लिया था । अपने रोग-नाश के उपरांत, चंद्रभागा नदी में स्नान करते हुए, उसे सूर्यदेव की एक मूर्ति प्राप्त हुयी थी । इस मूर्ति को लेकर माना जाता है कि यह मूर्ति सूर्यदेव के शरीर के ही एक अंग प्रतीत हो , जो की स्वयं देव शिल्पी श्री विश्वकर्मा ने बनायी थी। लेकिन अब यह मूर्ति पुरी के जगन्नाथ मंदिर में रखवा दी जा चुकी है |

Konark Surya Mandir : आपको चकित करने वाले सूर्ये देव कोणार्क मंदिर की विशेषताओ के बारे में , जानिए |

Konark Surya Mandir :उड़ीसा के विश्व प्रसीद कोणार्क सूर्य मंदिर को ”यूनेस्को” ने विश्व धरोहर घोषित किया था | आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन कोणार्क में समय को ज्ञात करने के लिए कोई घडी की आवश्य्कता नहीं रहती है क्योंकि सूर्य मंदिर समय की गति को दर्शाता है, जिसे सूर्य देवता नियंत्रित करते रहते हैं।पूर्व दिशा की ओर जाते हुए मंदिर के 7 घोड़े सप्ताह के सातों दिनों के प्रतीक हैं। 24 पहिए दिन के चौबीस घंटे को दर्शाते रहते हैं। और इसके साथ    कुछ लोगों का मानना है कि 12 जोड़ी पहिए साल के बारह महीनों को दर्शाते हैं। और पूरे मंदिर में पत्थरों पर कई विषयों और दृश्यों को मूर्तियाँ के द्वारा दर्शाया गया हैं। की पुराणों के अनुसार ”श्रीकृष्ण” ने अपने पुत्र साम्बा को कोढ रोग का श्राप दिया था। इस श्राप के मुक्ति के लिए साम्बा जब मित्रवन में चंद्रभागा नदी में स्नान कर रहे थे, तो उन्हें पानी में सूर्य देव की एक मूर्ति प्राप्त हुयी थी | साम्बा ने उस स्थान पर मूर्ति की स्थापना करवाई। जिसे आज कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।बारह वर्षों तक साम्बा ने भगवान सूर्य की तपस्या की और सूर्य भगवान को प्रसन्न किया। उसके बाद सूर्ये देवता ने साम्बा को श्राप से मुक्ति दिलवाई और तरो ताजा किया |

Konark Surya Mandir : कोणार्क मंदिर तीर्थ यात्रा करने के लिए साधन

Konark Surya Mandir : प्रसीद कोणार्क उडीसा राज्य में स्थित है। भुवनेश्वर और पुरी जैसे प्रमुख शहरों से कोणार्क सडक द्वारा जुडा हुआ है। आइए जानते है कि कोणार्क तीर्थ यात्रा कैसे की जाये |

  • हवाई जहाज

यात्रा के लिए अगर आफ हवाई जहाज के द्वारा जाते है, तो आप भुवनेश्वर हवाई अड्डे तक पहुंच सकते है, कोणार्क भुबनेश्वर हवाई अड्डे से 65 किमी दूर है। भुवनेश्वर नई दिल्ली, कोलकाता, विशाखापत्तनम, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख भारतीय शहरों के लिए उड़ानों से जुड़ा हुआ है। इंडिगो, गो एयर, एयर इंडिया जैसी सभी प्रमुख घरेलू एयरलाइनों से भुबनेश्वर के लिए दैनिक उड़ानें हैं। आप हवाई जहाज से भुबनेश्वर पहुंचकर फिर वहां से बस या टैक्सी द्वारा कोणार्क मंदिर की यात्रा में सफल हो सकते है |

  • रेल द्वारा

यदि रेलवे साधन से यात्रा करनी है तो आपको बतादे की कोणार्क के आसपास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। अगर आप रेल द्वारा जा रहे है, तो आपको पुरी रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा | कोणार्क का निकटतम रेलवे स्टेशन भुबनेश्वर और पुरी हैं। कोणार्क भुवनेश्वर से पिपली के रास्ते 65किलोमीटर और पुरी से 35किमी मैरिन ड्राइव रोड पर है। पुरी दक्षिण पूर्वी रेलवे का अंतिम प्वाइंट है। पुरी और भुबनेश्वर के लिए कोलकाता, नई दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, मुंबई और देश के अन्य प्रमुख शहरों और कस्बों के लिए फास्ट और सुपरफास्ट ट्रेनें हैं जिसके माध्यम से आप यहां आने के बाद टैक्सी या बस से कोणार्क पहुंच कर यात्रा सफलपूर्वक बना सकते है

  • सडक द्वारा

तीर्थ यात्रियों के लिए राज्य द्वारा चलाई जाने वाली बसें उडीसा और अन्य राज्यों से कोणार्क को सडक द्वारा जोड़ती है। भुवनेश्वर और पुरी से कोणार्क के लिए निजी बस सेवाएं उपलब्ध हैं।कोणार्क भुवनेश्वर से पिपली होते हुए करीब 65 किमी लंबा रास्ता है और यहां से कोणार्क पहुंचने में कुल दो घंटे लगते हैं। यह पुरी से 35 किमी है और एक घंटे का समय लगता है। कोणार्क के लिए पुरी और भुवनेश्वर से नियमित बस सेवाएं संचालित होती हैं। सार्वजनिक परिवहन के अलावा पुरी और भुवनेश्वर से निजी पर्यटक बस सेवाएं और टैक्सी भी उपलब्ध हैं। और ऐसे ही आप विश्व के प्रसिद सूर्ये देवता के कोणार्क मंदिर तक पहुंचने में सफल हो सकते है |

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